कहानी-समझदार बीवी (Samajhdaar Biwi): मिस्र की लोक-कथा

काहिरा का काजी बहुत ईमानदार था। उसके न्याय की तराजू बहुत प्रसिद्ध थी वह पैसे वाला भी था। काजी की बेटी बहुत सुंदर थी और उसकी दुनिया भर में बड़ी चर्चा थी। उसकी मुलाकात अमीन नामक एक युवक से हो गई, वह शादीशुदा था, एक गुणी और बुद्धिमती पत्नी का पति। अमीन का बाप काहिरा का एक अमीर व्यापारी था, इस नाते अमीन को काम से कम ही फुर्सत मिल पाती। लेकिन दोनों की आँख लड़ ही गई और दोनों में गजब का प्रेम हो गया। जवानी के प्यार का मामला ठहरा, अब दोनों मेल-मुलाकात का मौका ढूंढते। फिर ऐसी स्थिति आ गई दोनों एक दूसरे के बिना रह नही सकते थे। संदेशो और चिट्ठियों से बात करते और किसी पुरानी खण्डहरनुमा हवेली में मिलने भी लगे थे।
शहर का कोतवाल काजी का बहुत बड़ा दुश्मन था। किसी मामले में काजी ने उस को डांट-फटकार लगा दी थी। इस प्रकरण को देखकर उसकी तो बांछे खिल गई। कोतवाल काजी को फसाने के लिए मौके की तलाश में रहता ही था। उसने अपना एक सिपाही अमीन और काजी की बेटी के पीछे लगा दिया। एक दिन जब काजी की बेटी जिसका नाम सित्त-अल-हुस्न था वह अमीन से किसी पुरानी इमारत में छुपकर मिल रही थी, कोतवाल को इसकी खबर लग गई। कोतवाल ने उन्हें चारों ओर से घेर कर पकड़ लिया।
उसे काजी को बदनाम करने का एक बड़ा मौका मिल रहा था। बदला पूरा करने का इतना सुनहला मौका वह कल्पना कर-कर के पागल हुआ जा रहा था। इस सुंदर मौके को वह किसी भी तरह छोड़ना नहीं चाहता था। उसने उन्हें ले जाकर शहर की किसी पुरानी कोतवाली में बंद कर दिया। वहां दो सिपाही लगाकर कोतवाल सुल्तान के पास पहुंचा और उसने आरोप लगाया कि काजी की बेटी किसी लड़के के साथ वहां अवैध गतिविधियों में पकड़ी गई है, साहब इससे इस्लाम का बड़ा नुकसान होगा।, नियम कायदे टूट रहे हैं। काजी को कटघरे में खड़ा किया जाए।
सुल्तान चौक गया। मामला शहर के काजी की बेटी और काहिरा के सबसे बड़े अमीर सेठ के बेटे का था। मंत्रिमंडल के सामने इतने बड़े आरोप को टाला नही जा सकता था। सुल्तान ने तुरंत कहा “पहले मुल्जिमो को सामने लाया जाए, दोनों को।“
उधर अमीन की पत्नी बहुत ही समझदार थी। वफ़ादार और प्रेम करने वाली बीवी हो तो शौहर को मौत के मुंह से भी छीन लाएगी, कोतवाल भला क्या है। वह पुरुष के वेश में थाने पहुंच गई। चुपचाप वहां पहुंचकर, सिपाहियों को 10-20 दीनार दिए और अमीन से मिलने की इच्छा व्यक्त की। 1-2 दीनार महीना पाने वाला 20 दीनार एक साथ पा जाए तो क्या होगा। सिपाहियों ने सोचा कोई मर्द है मिल ही लेगा तो क्या फर्क पड़ जायेगा। अपने पति के पास पहुंच कर उसने अपना वेश उतार दिया। मर्दाना वेश काजी की बेटी को पहना कर वहां से विदा कर दिया। सित्त-अल-हुस्न रात से पहले काजी की हवेली पहुंच गई। अमीन की बीवी रात कोतवाली में ही रही। अमीन शर्मिंदा तो बहुत हुआ पर अपनी बीवी पर उसे बड़ा घमंड हुआ। सिपाहियों को कुछ पता ही न चला। वह उसी कमरे में सो गई।
कोतवाल ने बिना देखे एक बंद घोड़ा-गाड़ी में दोनों को ले जाकर सुल्तान के सामने पेश किया। सुल्तान और मन्त्रिमण्डल ने जब यह देखा की वह तो अपनी जायज बीवी के साथ है तो सुल्तान कोतवाल के ऊपर आग-बबूला हो गया । इतने ईमानदार और न्यायप्रिय काजी को बदनाम करने की साजिश करता है। ऊपर से एक भले-आदमी अमीर शहरी को बेवज़ह परेशान करके गिरफ्तार करता है। इसकी नीयत में खोट है। काजी भी गुस्से से एकदम लाल। उसकी बेटी तो उसकी हवेली पहुंच चुकी थी, “मेरी बेटी को बदनाम करने की साजिश।“ सुल्तान ने शहर कोतवाल को ‘अवैध गतिविधि के इल्जाम में’ जिससे काजी और नियम कायदे बदनाम हो रहे थे, कोतवाल को फांसी की सजा दे दी।