राजा के शानदार कपड़े- स्पेन की लोक कथा (हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन)

बहुत समय पहले एक राजा था, जो नए-नए कपड़ों का इतना शौकीन था कि वह अपने राज्य की आमदनी अपने शौक को पूरा करने में ही लुटा देता था। हर समय उसकी यह इक्षा रहती थी कि लोग उसके कपड़ों को देखते ही रहें। न उसे सेना को मजबूत बनाने की फिक्र थी, न ही खेल-तमाशे में वह कोई रूचि लेता था, न घूमने-फिरने को ही उसका मन करता था। हां, अपने नए कपड़ों को दिखाने के लिए वह चाहे तो दासों कोस चला जाता। दिन और रात के हर पहर के लिए उसके पास अलग पोशाक थी। जिस तरह किसी राज्य में राजा के बारे में पूछने पर उत्तर मिलता है कि वह अपने मंत्रियों की बैठक में है, उसी तरह यदि कोई इस राजा के बारे में पूछता, तो उत्तर मिलता कि वह पोशाक बदलने वाले कमरे में है।
जिस शहर में राजा की राजधानी थी वह सम्पन था और वहां रात-दिन आने-जाने वालों की चहल-पहल रहती थी। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता होगा, जिस दिन बाहर से आने वाले लोग सैकड़ों की तादाद में राजधानी के बाजारों में दिखाई न पड़ते हों। इन्हीं में एक दिन दो ठग भी आए। उन्होंने लोगों को बताया कि वे बुनकर हैं और ऐसा बढ़िया कपड़ा बुनना जानते हैं कि सारे संसार में ढूंढ़ने पर भी नहीं मिल सकता, यहां तक कि कोई उसकी कल्पना तक नहीं कर सकता। न केवल उस कपड़े का रंग और कला ही सुन्दर होगा, बल्कि उसमें यह भी विशेषता होगी कि जो आदमी अपने पद के योग्य नहीं होगा या बेहद मुर्ख होगा उसे वे वस्त्र दिखाई तक नहीं देंगे।